
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु शंकर है; गुरु ही साक्षात् परब्रह्म(परमगुरु) है ,ऐसे सद्गुरु को प्रणाम।

वाग् वै सरस्वती॥ (तै.ब्रा. १/२/१)
वाणी ही सरस्वती है।

बुद्धिश्रेष्ठानि कर्माणि॥ (म.भा.वनपर्व - ३५/७५)
बुद्धि से विचारकर किए हुए कार्य ही श्रेष्ठ होते हैं।

दून ऊनेन हीयते॥(अथर्व. १०/८/१५)
बुरी संगति से मनुष्य अवनत होता है।

पुमान् पुमांसं परिपातु विश्वतः॥(ऋ.६/७५/१४)
मनुष्य, मनुष्य की सब प्रकार से रक्षा करे।

परि माग्ने दुश्चरिताद् बाधस्व॥(यजु. ४/२८)
हे प्रभो! आप मुझे दुष्ट आचरण से हटाएं।

एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति॥(ऋ.१/१६४/४६)
सत्य एक ही है, विद्वान् उसका अनेक तरह से वर्णन करते हैं।

रमन्तां पुण्या लक्ष्मीर्याः पापीस्ताऽनीनशम्॥(अथर्व. ७/११५/४)
पुण्य की कमाई मेरे घर की शोभा बढ़ावे और पाप की कमाई नष्ट हो जाए।

अन्नेन सदृशं दानं नै भूतं न भविष्यति। (म.भा. अनुशासनपर्व - १५८/१५)
अन्न के समान न कोई दान हुआ है और न होगा।

विद्वांसो हि देवाः॥ (श.ब्रा. ३/७/३/१०)
विद्वान ही वस्तुतः देव हैं।

स नः पर्षद् अतिद्विषः॥(अथर्व. ६/३४/१)
ईश्वर हमें द्वेषों से पृथूक कर दे।

राष्ट्रं धारयतां ध्रुवम्॥(ऋ.१०/१७३/५)
राष्ट्र को स्थिरता से धारण कीजिए।

प्राता रत्नं प्रातरिश्वा दधाति॥ (ऋ.१/१२५/१)
प्रातः जागने वाला प्रभात बेला में ऐश्वर्य पाता है।

संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्॥ (ऋ.१०/१९१/२)
साथ मिलकर चलो, एक साथ मिलकर बोलो, तुम सभी के मन समान विचार वाले हों।

ज्योतिषा बाधते तमः॥(यजु. ३३/९२)
ज्योति से ही अन्धकार नष्ट होता है।
उद्देश्यम्

संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है। इसे देवभाषा, सुरभाषा, वेदभाषा की संज्ञा से अभिहित किया गया है। उत्तराखण्ड सरकार ने देवभाषा संस्कृत को वर्ष 2010 से राज्य की द्वितीय भाषा के रूप में स्वीकार किया है। संस्कृत की प्राचीनता, महत्ता व विशिष्टता के दृष्टिगत उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत संचालित संस्कृत विद्यालयों की परिषदीय परीक्षाओं के संचालन हेतु उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् का गठन किया गया है।
परीक्षा-परिणामः

समाचारः घटनाक्रमः च
उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद्
राज्य के अन्तर्गत संचालित संस्कृत विद्यालयों की पूर्वमध्यमा (कक्षा-10) एवं उत्तरमध्यमा (कक्षा-12) परिषदीय परीक्षाओं का आयोजन/संचालन उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् द्वारा वर्ष 2017 से विधिवत् किया जा रहा है। उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् को कोबसे (Council of Board of School Education in India) द्वारा वर्ष 2016 से विधिवत् सदस्यता प्रदान की गयी है। वर्तमान में उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद के कार्यालय का संचालन द्वितीय तल, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, देहरादून से किया जा रहा है।

उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद्
संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है। इसे देवभाषा, सुरभाषा, वेदभाषा की संज्ञा से अभिहित किया गया है। उत्तराखण्ड सरकार ने देवभाषा संस्कृत को वर्ष 2010 से राज्य की द्वितीय भाषा के रूप में स्वीकार किया है। संस्कृत की प्राचीनता, महत्ता व विशिष्टता के दृष्टिगत उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत संचालित संस्कृत विद्यालयों की परिषदीय परीक्षाओं के संचालन हेतु उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् का गठन किया गया है।